लेखनी प्रतियोगिता -24-May-2022#हेरा फेरी
हेरा फेरी का जिक्र आते ही दिमाग मे परेश रावल की फिल्म घुम जाती है ।सच मे बडी हेरा फेरी है उसमे। हम ह़ंस हंस के लोटपोट हो गये थे जब हमने ये फिल्म देखी थी लेकिन जब सच मे हमारे साथ या परिवार के साथ कोई हेराफेरी होती है तो मन रोने को करता है।
बात उन दिनो की है जब मनु बहुत छोटी थी ।चार बहनों मे सबसे छोटी और सब की लाडली। उसे गली मे घुम घुम कर मांगने वाले बाबाओं से बड़ा डर लगता था।एक दिन ऐसे ही वो चबूतरे पर खेल रही थी दो भगवा कपड़े पहने बाबा उसके चबूतरे के गेट पर खड़े हो गये।और उसे देखकर बोले ,"बिटिया का भाग बहुत चमकेगा।देखना बेटी तुम चार बहनें हो ना ।भाई का अभी नया नया काम करवाया है वो तुम चारों से बड़ा है ।"जब वो बाबा मनु से बातें कर रहे थे तब मां रसोई घर की खिड़की से सब देख रही थी।वो झट से मनु के पिता जी को बुला लाई कि बहुत पहुंचे हुए साधु दरवाजे पर खड़े है और सारा वार्तालाप बता दिया जो बातें साधुओं ने मनु को कही थी ।मनु के पिता जी तुरंत उठे और बाहर आये और बोले,"महाराज आप कहां से पधारे है और आप को इतना सब कैसे पता हमारे विषय मे।"
पिता के पूछने पर वे भगवा कपड़े वाले बोले,"बच्चा हम पहुंचे हुए साधू है हम बहुत कुछ बता सकते है ।"
मनु के पिता जी ने उन्हें बैठक मे बैठाया और पत्नी से पानी लाने को कहा,"मनु की मां रोटियां सेंक रही थी उसने मनु से बड़ी बहन को पानी लेकर बैठक मे भेज दिया।इतने वो साधू बाबा पूरी तल्लीनता से अपना आसन जमा चुके थे।जब मनु से बड़ी उसकी बहन पानी देने गयी तब उनमे से एक बाबा ने कहा,"ये बड़ी बिटिया है ।शादी लायक हो गयी है ।"
मनु के पिता जी बोले,"हो तो गयी है बाबा जी पर कोई लड़का नही योग्य जो हमारी बेटी के लायक हो ।जरा इसका हाथ देखकर बताना कि इसका कब योग बनेगा।"मनु की बड़ी बहन उन बाबाओं मे से एक के पास बैठ गयी और अपना हाथ दिखाने लगी।इतने मे जो दूसरा बाबा जो खाली बैठा था वो बोला,"बोलों बच्चा क्या पूछना चाहते हो।वैसे मुझे पता है तुम्हारे पड़ बाबा (दादाजी के पिताजी) खैराती लाल जी की आत्मा तुमसे रुष्ठ है ।"मनु के पिता जी एकदम सकते मे आ गये कि इनको मेरे दादा के पिताजी का नाम कैसे मालूम हुआ । हवेली पर तो दादा जी का नाम लिखा है ।और भी बहुत सी बातें उस बाबा ने बताई जो बिल्कुल गोपनीय थी केवल घर के बंदे ही बता सकते थे।मनु के पिता जी को उन बाबाओं पर यकीन हो गया और वो बोले,"बाबा जी इसका कोई उपाय?"
वो बाबा बोला,"ऐसा है मै उपाय कर दूंगा पर वो मै अपने आश्रम मे जाकर करूंगा उसके लिए पांच हजार लगेंगे।आज से चालीस साल पहले पांच हजार बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। पिताजी ने मां के पैसे ,मनु की गुल्लक से सारे पैसे निकाल लिए और पांच हजार करके उस साधू को दे दिया ।साधू को जब पैसे मिल गये तो वो तुरंत उठे ओर ये कहकर हवेली से बाहर हो गये कि कोई विशेष मूहर्त है इसी मे शुरू कर देंगे यह काम ।पिता जी अपने आप को धन्य मान रहे थे कि ऐसे संत बड़ी मुश्किल से मिलते है ।जब बैठक मे मनु की मां और बड़ी बहन आये तो पिता जी ने पूछा,"बेटा मै तो पूछना ही भूल गया तुम्हारी शादी का योग बताया के नही।" तब मनु की बहन बोली मुझे तो उन्होंने कुछ नही बताया है मुझ से बड़े दादाजी का नाम पूछा फिर कोई भाषा मे कुछ बोला और पिताजी जब मैंने पूछा कि बाबा जी आप ये क्या कर रहे हो तो बोला,"तुम्हारे घर पर संकट है उसे उतार रहा हूं। पिता जी ने और भी बातें पूछी जिसे उस बाबा के मुख से सुनकर उन्होंने उन्हे पहुंचे हुए संत बताया था।वै सब बातें मनु की बहन से उस बाबा ने पूछी और कुछ बुदबुदाया।अब मनु के पिता जी माथा पकड़ कर बैठ गये ओर अपनी धर्मपत्नी से बोले ,"भाग्यवान ये तो हमे लूट गये ।एक तरफ तो बड़ी बेटी से वो सब पूछता रहा कितनी बहने है भाई का व्यापार ओर चाचा ताऊ के विषय मे और फिर वो अपनी भाषा मे बुदबुदाते हुए मेरे पास वाले बाबा को बताता था।सच मे हम तो इस हेरा फेरी का मुफ्त मे शिकार बन गये।उसकी मां ने कहा," अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।"
Shnaya
28-May-2022 02:54 PM
बेहतरीन
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Seema Priyadarshini sahay
25-May-2022 02:05 PM
बहुत ही बेहतरीन रचना
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Shrishti pandey
25-May-2022 12:47 PM
Nice
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